माननीय महोदय जी,
मैं श्रीमति भीमे पति श्री छन्नू राम ग्राम दोरगुडा विकासखण्ड भैरमगढ जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाडा छत्तीसगढ राज्य की एक आदिवासी महिला हूं । नक्सलियों के विरोध में शुरु हुये आंदोलन सलवा जुडुम से मेरे परिवार एवं इसके सदस्यों को काफी हानि पहुंची है । मेरे पुत्र श्री मूडा को सितम्बर 2006 में नक्सली समर्थक कहकर जान से मर डाला गया है एवं मेरे देवर श्री जग्गू एवं उनकी पुत्री फूलमती को जेल में डाल दिया गया है । मेरा पुत्र, देवर व उसकी पुत्री अपना घर छोडकर शिविर में नहीं जाना चाहते थे, इसलिये वे जब कभी भी सलवा जुडुम के सदस्यों को आते हुये देखते थे तो अपने घर से जंगल की ओर भाग जाते थे ।
एक दिन सितम्बर 2006 को सुरक्षाकर्मी, विशेष पुलिस अधिकारी एवं सलवा जुडुम के सदस्यों ने घर पर आकर उसे घेर लिया एवं उसे मार डाला एवं मेरे देवर व उनकी पुत्री को ले जाकर जेल में डाल दिया । महोदय जी, जब एक बूढी मां की आंखों के सामने उसके जवान पुत्र का कत्ल किसी के द्वारा किया जाता हो और वह खडी होकर देखने के सिवा कुछ नहीं कर सकती तो वह किस मनोदशा में होती है यह कोई मां ही बता सकती है । कानून व्यवस्था को बनाये रखने वालों के द्वारा ही कानून व्यवस्था का उल्लंघन हो रहा है और सरकार का उनको खुला समर्थन प्राप्त है । मेरे पुत्र के दो बच्चे हैं और बहू जवानी में ही विधवा हो चुकी है । हम पति पत्नी दोनो ही बूढे हो चुके हैं और हमारा भविष्य हमारे पुत्र पर टिका हुआ था । अब उसके न होने पर आगे हम अपना जीवन किस तरह चला पायेंगे ?
महामहिम जी, मेरे परिवार के दो सदस्यों को न्याय दिलवाने एवं मेरे पुत्र के कत्ल में शामिल सलवा जुडुम के सदस्यों को सज़ा दिलवाने की कृपा करें । मुझे अंदेशा है कि इस प्रार्थना पत्र के देने के पश्चात मुझ पर या मेरे परिवार पर दबावकारी कार्य किये जा सकते हैं अथवा मेरा अपहरण या मुझे झूठे मुकदमें में फसाया जा सकता है । यदि मेरे या मेरे परिवार के साथ ऐसा कुछ होता है तो इसकी सारी ज़िम्मेदारी जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की होगी । धन्यवाद
सहित प्रार्थी श्रीमति भीमे पति श्री छन्नू राम ग्राम दोरगुडा विकासखण्ड भैरमगढ जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाडा छत्तीसगढ
राज्यमहामहिम जी
मैं श्रीमति सनकी पति श्री मंगूराम भोगामी ग्राम दोरगुडा विकासखण्ड भैरमगढ जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाडा छत्तीसगढ राज्य की एक आदिवासी महिला हूं । मैं शासन द्वारा सलवा जुडुम के समर्थन में नियुक्त विशेष पुलिस अधिकारियों एवं अन्य सुरक्षाकर्मियों द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के साथ किये गये अत्याचार से अत्यंत दुखी हूं । मेरा पुत्र जयराम भोगामी एवं पुत्रवधु रामो भोगामी सलवा जुडुम नामक आंदोलन के शुरु होने के बाद दोरगुडा छोडकर अपने पुराने गांव फरसपाल के कोटवार पारा के पुश्तैनी घर में रहने लगे थे क्योंकि सलवा जुडुम के सदस्यों द्वारा हमारे गांव के सभी लोगों को अपने साथ शामिल करने एवं उन्हे शिविर में ले जाने हेतु ज़ोर जबरदस्ती किया जा रहा था और हमें इसका अंजाम पता था कि अपना घर छोडकर शिविर में जाने से किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड सकता है ।
शिविर में न तो रहने की सही व्यवस्था थी और ने ही परिवार के भरण पोषण हेतु आय का कोई ज़रिया था । इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने अपने पुत्र और पुत्रवधु से अपने पुश्तैनी गांव के मकान में जाकर रहते हुये वहां की खेती बाडी का कार्य करते रहने को कहा एवं स्वयं दोरगुडा में रहने का निर्णय लिया । दिनांक 24.11.06 को मैंने अपने पुत्र और पुत्रवधु को दोरगुडा बुलाया क्योंकि धान पक चुका था और मैंने उसे काट लिया था एवं उसे समेटकर रखने की आवश्यकता थी । मेरे बुलाने पर पुत्र एवं पुत्रवधु दोनों आये एवं कटे धान को व्यवस्थित रखने का कार्य प्रारम्भ किया । इसी बीच सलवा जुडुम के सदस्य, विशेष पुलिस अधिकारी और अन्य सुरक्षाकर्मी आये और उन्होंने मेरे बेटे को घेर लिया एवं उसे बांधकर मारने पीटने लगे और उन्होने उससे कहा की तू नक्सलियों से मिला हुआ है इसीलिये तू इतने दिन से नहीं दिख रहा था । इस पर उसने जवाब दिया कि मैं अपने पुश्तैनी गांव में था एवं वहां पर रहकर खेती बाडी का काम देख रहा था एवं एक दो दिन पश्चात मैं आप लोगों से मिलने शिविर में आने वाला था । परंतु उन लोगों ने उसकी एक बात नहीं मानी, उसके हाथ पीछे बांधकर डंडों और लात घूंसों से बहुत बहुत मारा । इस पर मेरी पुत्र वधु ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उसे भी खूब पीटा गया ।इसके बाद वे सभी मेरे पुत्र को घसीटते हुये मिरतुर गांव के थाने में लेकर गये एवं वहां पर भी उसकी खूब पिटाई की गई । इस पिटाई से उसके अस्थि पंजर के टूटने की आशंका है एवं उसके शरीर के अंदरूनी भागों को काफी नुकसान पहुंचा है एवं लगभग 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी हिलने डुलने की स्थिति में नहीं है । उसे वर्तमान में थाने में ही बन्द करके रखा गया है । इसके अलावा मुझे भी पीटा गया, जिससे मेरे सीने एवं अस्थिपंजर में भयंकर दर्द हो रहा है ।
महामहिम जी, मेरे परिवार के सदस्यों को बेवजह प्रताडित किया गया है एवं मेरे पुत्र को थाने में बन्द करके रखा हुआ है । यह एक भयावह स्थिति है कि सलवा जुडुम नामक इस आंदोलन के चलते हम जैसे गरीब लोगों का साथ देने के लिये कोई नहीं है । मैं यह प्रार्थना पत्र आपके पास न्याय की आशा के साथ भेज रही हूं । कृपया मेरे परिवार के सदस्यों को न्याय दिलाने की कृपा करें । मुझे अंदेशा है कि इस प्रार्थना पत्र के देने के पश्चात मुझ पर या मेरे परिवार पर दबावकारी कार्य किये जा सकते हैं अथवा मेरा अपहरण या मुझे झूठे मुकदमें में फसाया जा सकता है । यदि मेरे या मेरे परिवार के साथ ऐसा कुछ होता है तो इसकी सारी ज़िम्मेदारी जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की होगी ।
धन्यवाद सहित
श्रीमति सनकी पति श्री मंगूराम भोगामी ग्राम दोरगुडा विकासखण्ड भैरमगढ जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाडा छत्तीसगढ राज्य( मूल पत्र की फोटोकॉपी छत्तीसगढ नेट के पास सुरक्षित)
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